Amazon-Flipkart Sale में No Cost EMI पर शॉपिंग करते वक्त ध्यान रखें ये बात, वरना दब सकते हैं कर्ज के बोझ तले!
हर सेल में जो एक सबसे खास चीज देखने को मिलती है, वह ये होती है कि ये कंपनियां कुछ बैंकों के जरिए भुगतान करने पर नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) की सुविधा देती हैं.
अमेजन-फ्लिपकार्ट (Amazon-Flipkart Sale) से लेकर मिंत्रा और मीशो (Myntra-Meesho Sale) जैसे तमाम ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) प्लेटफॉर्म्स पर सेल शुरू होने वाली है. हर सेल में जो एक सबसे खास चीज देखने को मिलती है, वह ये होती है कि ये कंपनियां कुछ बैंकों के जरिए भुगतान करने पर नो कॉस्ट ईएमआई (No Cost EMI) की सुविधा देती हैं. यह सुविधा भी कुछ खास अवधि के लिए ही मिलती है, जो 3 महीने से लेकर 12 महीने तक की हो सकती हैं. यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ये बैंक बिना कोई ब्याज लिए आपको लोन कैसे दे रहे हैं? या यूं कहिए कि बिना किसी ब्याज के ये बैंक आपको ईएमआई पर प्रोडक्ट खरीदने की सुविधा क्यों दे रहे हैं? क्या ये कोई हिडन चार्ज ले रहे हैं या मामला कुछ और है? आइए समझते हैं नो कॉस्ट ईएमआई को.
पहले जानिए क्या कहता है RBI का नियम
इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नियम कहता है कि कोई भी लोन कभी फ्री नहीं होता है. वर्ष 2013 के एक सर्कुलेशन में RBI ने कहा था कि zero percent interest वाली कोई चीज नहीं होती. क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग्स पर zero percent emi स्कीम में ब्याज की रकम की वसूली अक्सर प्रोसेसिंग फीस के रूप में कर ली जाती है. ठीक इसी तरह से बैंक अपने लोन का ब्याज भी उस सामान की कीमत में शामिल करके वसूल लेते हैं. या फिर वह ब्याज सामान बेचने वाली कंपनी जैसे अमेजन-फ्लिपकार्ट को चुकाना होता है. यानी RBI का सर्कुलर कहता है कि लोन के मामले में Free Lunch जैसा कुछ भी नहीं है.
जानिए किस तरह आपसे वसूला जाता है पैसा
नो कॉस्ट ईएमआई के दौरान आपको कोई ऑफर देने से पहले कंपनियां पहले ही उस सामान की कीमत काफी बढ़ाकर दिखाती हैं. भले ही आपको लगे कि आपको तो बहुत तगड़ा डिस्काउंट मिल रहा है और साथ ही आपको नो कॉस्ट ईएमआई भी मिल रही है, लेकिन असल में उस प्रोडक्ट के मार्जिन में कंपनियां ये सब पहले ही जोड़ चुकी होती हैं. यानी अगर आप नो कॉस्ट ईएमआई लें या ना लें, कंपनी को तो फायदा ही होगा. हां, ये फायदा थोड़ा कम-ज्यादा जरूर हो सकता है.
नो कॉस्ट ईएमआई पर भी आप हर महीने देते हैं ब्याज
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अगर आपने कभी कोई प्रोडक्ट नो कॉस्ट ईएमआई पर खरीदा होगा तो देखा होगा कि आपको हर ईएमआई पर कुछ ब्याज चुकाना पड़ता है. तो क्या सेल में आपको धोखा देकर सामान बेच दिया गया? नहीं. दरअसल, जब आप नो कॉस्ट ईएमआई पर कोई प्रोडक्ट लेते हैं तो आपने जिस अवधि की नो कॉस्ट ईएमआई बनवाई होती है, कंपनी की तरफ से उस अवधि के लिए बैंक ब्याज जितना डिस्काउंट आपको दे दिया जाता है. यही पैसे आप बाद में बैंक को चुकाते हैं.
तो आपको कहां होता है नुकसान?
नो कॉस्ट ईएमआई में कई बार आपसे कुछ प्रोसेसिंग फीस चार्ज की जाती है, जिसे अधिकतर लोग अनदेखा कर देते हैं. वहीं भले ही ब्याज की रकम जितना डिस्काउंट कंपनी की तरफ से आपको दे दिया जाता है, लेकिन जब आप ईएमआई सुविधा लेते हैं तो हर महीने ब्याज पर 18 फीसदी जीएसटी भी चुकाते हैं. यही आपका नुकसान होता है. हालांकि, यह बहुत ही मामूली होता है.
नो कॉस्ट ईएमआई से फायदा या नुकसान?
बहुत से लोगों को ऊपर लिखी सारी बातें पढ़कर लग रहा होगा कि नो कॉस्ट ईएमआई से तो नुकसान होता है. हालांकि, ऐसा नहीं है. अगर आप उस प्रोडक्ट को एक बार पैसे देकर लेंगे तो आपको सारा पैसा एक साथ चुकाना होगा. जबकि नो कॉस्ट ईएमआई में सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा देना होगा और बाकी पैसों पर आप अगले कुछ दिनों तक ब्याज कमा सकते हैं. यह ब्याज आपकी तरफ से चुकाई जा रही जीएसटी से कहीं ज्यादा होगा. हालांकि, अगर आप पर प्रोसेसिंग फीस भी लग रही है तो आपको इससे नुकसान हो सकता है. तो नो कॉस्ट ईएमआई पर सामान लेते वक्त जरूर देखें कि बैंक की तरफ से प्रोसेसिंग फीस लग रही है या नहीं और अगर लग रही है तो कितनी. उसकी तुलना अपनी नो कॉस्ट ईएमआई से जरूर करें. ध्यान रहे कि सेल में बहुत ज्यादा ईएमआई ना बनवाएं, वरना आपको धीरे-धीरे पता चलेगा कि हर महीने आपकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा कट जाता है. हो सकता है धीरे-धीरे आप कर्ज के बोझ तले दबते चले जाएं.
एक उदाहरण से समझते हैं नो कॉस्ट ईएमआई को
मान लीजिए आप सेल में कोई मोबाइल फोन ले रहे हैं, जिसकी तमाम डिस्काउंट के बाद कीमत 12 हजार रुपये आती है. अब अगर आप इसे नो कॉस्ट ईएमआई में बदलवाते हैं तो आपको हर महीने 1000 रुपये 1 साल यानी 12 महीनों तक चुकाने होंगे. मान लेते हैं इस पर 12 महीनों तक बैंक 12 फीसदी ब्याज चार्ज करेगा. इस तरह रिड्यूसिंग बैलेंस के तरीके से आपको साल भर में करीब 795 रुपये का ब्याज चुकाना होगा. बैंक आपको शुरुआत में ही इतना डिस्काउंट दे देगा और फिर आप हर महीने करीब 66.19 रुपये ब्याज के चुकाएंगे. इस तरह आपकी ईएमआई 1066.19 रुपये के करीब बनेगी. आपको हर महीने इन 66.19 रुपये पर 18 फीसदी जीएसटी यानी करीब 12 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे. इस तरह आप साल भर में 144 रुपये जीएसटी चुकाएंगे.
06:32 PM IST